प्रश्न: पैरामीट्रिक बीमा क्या है? यह पारंपरिक क्षतिपूर्ति-आधारित बीमा से कैसे भिन्न है? भारत में आपदा-प्रवण क्षेत्रों के लिए इसके संभावित लाभों पर चर्चा कीजिए।
What is parametric insurance? How does it differ from traditional indemnity-based insurance? Discuss its potential benefits for disaster-prone regions in India.
उत्तर: पैरामीट्रिक बीमा एक बीमा मॉडल है जिसमें पूर्व-निर्धारित मापदंडों, जैसे- वर्षा की मात्रा या भूकंप की तीव्रता के आधार पर भुगतान किया जाता है। यह पारंपरिक बीमा से भिन्न है, जिसमें वास्तविक नुकसान का मूल्यांकन आवश्यक होता है।
पैरामीट्रिक बीमा बनाम पारंपरिक क्षतिपूर्ति-आधारित बीमा
(1) भुगतान प्रक्रिया: पारंपरिक बीमा में नुकसान का मूल्यांकन आवश्यक होता है, जबकि पैरामीट्रिक बीमा में पूर्व-निर्धारित मापदंडों के पूरा होने पर स्वतः भुगतान होता है, जिससे प्रक्रिया सरल और तेज होती है।
(2) दावा निपटान की गति: पारंपरिक बीमा में दावा निपटान में समय लगता है, जबकि पैरामीट्रिक बीमा में घटना के घटित होते ही त्वरित भुगतान होता है, जो आपदा के बाद तत्काल सहायता प्रदान करता है।
(3) जोखिम मूल्यांकन: पारंपरिक बीमा में व्यक्तिगत जोखिम मूल्यांकन आवश्यक होता है, जबकि पैरामीट्रिक बीमा में सांख्यिकीय डेटा और मापदंडों के आधार पर जोखिम का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे प्रक्रिया अधिक वस्तुनिष्ठ होती है।
(4) लागत और प्रशासनिक बोझ: पारंपरिक बीमा में दावा निपटान की प्रक्रिया में अधिक लागत और प्रशासनिक प्रयास लगते हैं, जबकि पैरामीट्रिक बीमा में यह बोझ कम होता है, जिससे कुल लागत में कमी आती है।
(5) उपयुक्तता: पारंपरिक बीमा सामान्य जोखिमों के लिए उपयुक्त होता है, जबकि पैरामीट्रिक बीमा विशेष रूप से प्राकृतिक आपदाओं जैसे कम आवृत्ति वाले लेकिन उच्च प्रभाव वाले घटनाओं के लिए उपयुक्त है।
भारत में आपदा-प्रवण क्षेत्रों के लिए संभावित लाभ
(1) त्वरित वित्तीय सहायता: पैरामीट्रिक बीमा के तहत, जैसे ही पूर्व-निर्धारित मापदंड पूरे होते हैं, तुरंत भुगतान होता है, जिससे आपदा के बाद प्रभावित लोगों को शीघ्र वित्तीय सहायता मिलती है।
(2) सरकारी राहत पर निर्भरता में कमी: यह बीमा मॉडल सरकारी राहत पर निर्भरता को कम करता है, जिससे राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय आपदा प्रबंधन में अधिक स्वतंत्र और सक्षम होते हैं।
(3) कम प्रशासनिक जटिलताएं: पारंपरिक बीमा की तुलना में, पैरामीट्रिक बीमा में दावा निपटान की प्रक्रिया सरल होती है, जिससे प्रशासनिक जटिलताएं और भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है।
(4) जोखिम प्रबंधन में सुधार: यह बीमा मॉडल जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाता है, क्योंकि यह पूर्व-निर्धारित मापदंडों के आधार पर काम करता है, जिससे आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
(5) स्थानीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता: पैरामीट्रिक बीमा के माध्यम से आपदा के बाद स्थानीय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद मिलती है, क्योंकि प्रभावित लोगों को शीघ्र वित्तीय सहायता मिलती है, जिससे वे पुनर्निर्माण प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं।
पैरामीट्रिक बीमा भारत के आपदा-प्रवण क्षेत्रों के लिए एक प्रभावी वित्तीय उपकरण है, जो त्वरित सहायता, प्रशासनिक सरलता और जोखिम प्रबंधन में सुधार प्रदान करता है। इसके व्यापक उपयोग से आपदा प्रबंधन में सुधार और प्रभावित समुदायों की पुनर्बहाली में तेजी लाई जा सकती है।