UPSC GS (Pre & Mains) Telegram Channel Join Now
UPSC History Optional Telegram Channel Join Now
5/5 - (1 vote)

ट्रम्पोनॉमिक्स को गंभीरता से लिया जाना चाहिए

ट्रम्पोनॉमिक्स, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तुत आर्थिक रणनीति, वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की मौलिक धारणाओं को चुनौती देने वाला एक व्यापक दृष्टिकोण है। इसे केवल एक राजनीतिक बयानबाज़ी या आर्थिक राष्ट्रवाद की संकीर्ण व्याख्या तक सीमित कर देना इसकी जटिलता को सरल बना देना होगा। वस्तुतः, यह एक समन्वित प्रयास है जो मुक्त व्यापार, वैश्वीकरण और आपूर्ति-श्रृंखला आधारित दक्षता जैसे तत्वों के विरुद्ध एक विकल्प प्रस्तुत करता है।

ट्रम्पोनॉमिक्स का मूल सिद्धांत यह है कि केवल आर्थिक दक्षता या न्यूनतम लागत के सिद्धांत पर आधारित वैश्वीकरण स्थानीय औद्योगिक ढांचे, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक संरचना के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ है। इसके अनुसार, मुक्त व्यापार नीतियों ने अमेरिकी विनिर्माण को नष्ट किया, स्थानीय नौकरियाँ समाप्त कीं और चीन जैसे देशों को आर्थिक प्रभुत्व के अवसर प्रदान किए। यह दृष्टिकोण वैश्वीकरण की लागत को सामाजिक-सांस्कृतिक और रणनीतिक मापदंडों से तौलता है।

ट्रम्पोनॉमिक्स उन विचारधाराओं के विरुद्ध खड़ा होता है जो मानती हैं कि वैश्विक व्यापार में सभी पक्ष अंततः लाभान्वित होते हैं। यह ‘समष्टिगत लाभ’ की अवधारणा को अस्वीकार करता है और कहता है कि मुक्त व्यापार में विजेता-पराजित स्पष्ट होते हैं। अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र, जो नवाचार और खपत में अग्रणी रहे, विनिर्माण और श्रम के क्षेत्र में पराजय झेलते रहे हैं, जिससे उनकी घरेलू असमानताएँ और राजनीतिक ध्रुवीकरण गहराया है।

इस दर्शन की सबसे विवादास्पद रणनीति टैरिफ आधारित संरक्षणवाद रही है, जिसे पारंपरिक अर्थशास्त्र खारिज करता आया है। किंतु ट्रम्प का मत था कि टैरिफ केवल सीमा शुल्क नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा की शर्तों को संतुलित करने का औजार है। वे इसे नीतिगत समायोजन के रूप में देखते हैं, जो अमेरिकी कंपनियों को चीन, मैक्सिको या वियतनाम की अनुचित नीतियों से बचाता है और घरेलू उत्पादन को प्रतिस्पर्धी बनाता है।

यह दृष्टिकोण यह भी स्वीकार करता है कि बाज़ार का अदृश्य हाथ हमेशा सामाजिक न्याय और रणनीतिक सुरक्षा की गारंटी नहीं देता। मुक्त व्यापार के परिणामस्वरूप अमेरिका की तकनीकी जानकारी और औद्योगिक क्षमता जिस प्रकार चीन जैसे देशों को हस्तांतरित हुई, उससे न केवल व्यापार घाटा बढ़ा बल्कि यह भू-राजनीतिक रूप से खतरनाक सिद्ध हुआ। ट्रम्पोनॉमिक्स इस संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा को आर्थिक नीति का अनिवार्य तत्व मानता है।

ट्रम्पोनॉमिक्स केवल टैरिफ तक सीमित न रहकर एक समग्र आर्थिक कार्यक्रम प्रस्तुत करता है जिसमें विनियामक शिथिलता, कॉर्पोरेट कर में कटौती, ऊर्जा क्षेत्र का पुनरुद्धार और श्रम बाजार की पुनर्संरचना जैसे तत्व सम्मिलित हैं। इसका उद्देश्य अमेरिका को उच्च लागत, उच्च नवाचार और उच्च वेतन आधारित उत्पादन केंद्र के रूप में पुनर्स्थापित करना है, जिससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में उसकी स्थिति को पुनः मजबूत किया जा सके।

यह आर्थिक सोच एक नव-राष्ट्रवादी ढांचे का प्रतीक है जो वैश्विक एकीकरण की जगह स्थानीयकरण, स्वावलंबन और रणनीतिक स्वायत्तता पर बल देती है। यह WTO जैसी संस्थाओं की निष्क्रियता को उजागर करते हुए द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की ओर झुकाव दिखाता है। ट्रम्पोनॉमिक्स यह मानता है कि बहुपक्षीय संस्थाएँ अब अमेरिका के हितों की रक्षा करने में विफल हैं और उन्हें नए रूप में गढ़ने की आवश्यकता है।

आलोचक इसे संरक्षणवाद की पुनरावृत्ति मानते हैं, किंतु यह दृष्टिकोण वर्तमान वैश्विक असमानताओं, विनिर्माण ह्रास, तकनीकी निर्भरता और श्रम असंतुलन जैसी समस्याओं के प्रति प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि एक नीतिगत प्रतिसंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है। यह पारंपरिक वैश्विक अर्थशास्त्र की उस निष्क्रियता की भी आलोचना करता है जिसने चीन की उदारीकरण प्रक्रिया को निगरानी के बिना बढ़ावा दिया।

भारतीय संदर्भ में भी ट्रम्पोनॉमिक्स की प्रासंगिकता बढ़ रही है, जहाँ आत्मनिर्भर भारत, आयात प्रतिस्थापन, रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन तथा राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगिक नीति के बीच एक अभिन्न सम्बन्ध को पुनर्परिभाषित किया जा रहा है। वैश्विक दक्षिण के कई देश अब केवल व्यापार के माध्यम से विकास नहीं, बल्कि संरक्षित औद्योगीकरण और रणनीतिक संरक्षण के पक्षधर होते जा रहे हैं।

अतः ट्रम्पोनॉमिक्स को आर्थिक नीति की एक असामान्य धारा कहकर तिरस्कृत कर देना एक बौद्धिक सरलता है। यह एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था की रूपरेखा प्रस्तुत करता है जो शक्ति-संतुलन, उत्पादन-स्वायत्तता और सामाजिक न्याय के नए समीकरणों पर आधारित है। इसकी प्रभावशीलता की आलोचना की जा सकती है, किंतु इसके वैचारिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता। यह एक गहन विमर्श की माँग करता है, न कि सतही खंडन की।

"www.upscinterview.in" एक अनुभव आधारित पहल है जिसे राजेन्द्र मोहविया सर ने UPSC CSE की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से शुरू किया है। यह पहल विद्यार्थियों की समझ और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ाने के लिए विभिन्न कोर्स प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, सामान्य अध्ययन और इतिहास वैकल्पिक विषय से संबंधित टॉपिक वाइज मटेरियल, विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का मॉडल उत्तर, प्रीलिम्स और मेन्स टेस्ट सीरीज़, दैनिक उत्तर लेखन, मेंटरशिप, करंट अफेयर्स आदि, ताकि आप अपना IAS बनने का सपना साकार कर सकें।

Leave a Comment

Translate »
www.upscinterview.in
1
Hello Student
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button