प्रश्न: भारत में घरों के उपभोग पैटर्न पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के प्रभाव पर चर्चा कीजिए। यह गैर-खाद्य वस्तुओं पर व्यय को किस प्रकार प्रभावित करता है?
Discuss the impact of the Public Distribution System (PDS) on the consumption patterns of households in India. How does it influence expenditure on non-food items?
उत्तर: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) भारत सरकार की एक प्रमुख खाद्य सुरक्षा योजना है, जो निर्धन और कमजोर वर्गों को सब्सिडी दरों पर आवश्यक खाद्यान्न उपलब्ध कराती है। यह प्रणाली न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि घरों के उपभोग पैटर्न और गैर-खाद्य व्ययों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
PDS का खाद्य उपभोग पैटर्न पर प्रभाव
(1) खाद्यान्न व्यय में कमी: PDS के माध्यम से सस्ते दरों पर खाद्यान्न मिलने से परिवारों का कुल खाद्यान्न पर खर्च घटता है, जिससे उनकी वास्तविक आय प्रभावी रूप से बढ़ती है। यह अतिरिक्त आय अन्य आवश्यकताओं, जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करने में सहायक होती है।
(2) पोषण स्तर में सुधार: PDS के तहत चावल, गेहूं आदि की सुलभता के कारण परिवार अधिक मात्रा में इनका सेवन करते हैं, जिससे न्यूनतम कैलोरी आवश्यकता की पूर्ति सुनिश्चित होती है। हालांकि, PDS से मिलने वाले खाद्यान्न में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे संतुलित आहार की आवश्यकता बनी रहती है।
(3) निजी बाजार से निर्भरता में कमी: सस्ती दरों पर राशन मिलने से गरीब परिवार अब खुले बाजार से कम खरीद करते हैं, जिससे बाज़ारी अस्थिरता का प्रभाव कम होता है। यह प्रणाली परिवारों को खाद्यान्न की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करती है, जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है।
(4) खाद्य विविधता में सीमित वृद्धि: हालाँकि मुख्य खाद्यान्न सुलभ होते हैं, किंतु सब्ज़ियाँ, फल या प्रोटीन युक्त खाद्य वस्तुओं की खपत पर PDS का सकारात्मक प्रभाव सीमित रहता है। इसके परिणामस्वरूप, परिवारों का आहार विविधता में कमी हो सकती है, जो पोषण संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
(5) ग्रामीण बनाम शहरी अंतर: भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी पर्याप्त संख्या में राशन की दुकानें उपलब्ध हैं। हालांकि, वितरण प्रणाली में कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं, जैसे- दुकानों तक पहुँच, पहचान सत्यापन और संसाधनों की उपलब्धता, जो लाभार्थियों के अनुभव को प्रभावित कर सकती हैं।
PDS का गैर-खाद्य वस्तुओं पर व्यय प्रभाव
(1) शिक्षा पर व्यय में वृद्धि: PDS से खाद्य व्यय में बचत से परिवार बच्चों की शिक्षा पर अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा में सुधार होता है। यह दीर्घकालिक रूप से सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान करता है।
(2) स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार: PDS से बचत हुई राशि से परिवार प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं पर अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार होता है। यह परिवारों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
(3) ऊर्जा और ईंधन खरीद में सुविधा: PDS से बचत हुई राशि से परिवार LPG, मिट्टी का तेल या बिजली जैसे ऊर्जा संसाधनों पर व्यय कर सकते हैं, जिससे ऊर्जा और ईंधन खरीद में सुविधा होती है। यह जीवन स्तर में सुधार करता है।
(4) पहनावा और आवास सुधार पर व्यय: PDS से बचत हुई राशि से परिवार बेहतर वस्त्र और आवास की मरम्मत जैसे कार्यों पर खर्च कर सकते हैं, जिससे जीवन स्तर में सुधार होता है। यह परिवारों की सामाजिक स्थिति को भी बेहतर करता है।
(5) सामाजिक आयोजनों में सहभागिता: PDS से बचत हुई राशि से परिवार सामाजिक, धार्मिक या पारिवारिक आयोजनों में व्यय कर सकते हैं, जिससे सामाजिक पूंजी को बनाए रखा जा सकता है। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली ने खाद्यान्न उपभोग को सुरक्षित कर परिवारों के उपभोग ढांचे में लचीलापन प्रदान किया है। यह न केवल खाद्य सुरक्षा बढ़ाता है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य गैर-खाद्य व्ययों को भी संभव बनाता है, जिससे समग्र जीवन गुणवत्ता में सुधार आता है।