प्रश्न: चर्चा कीजिए कि भारत की बढ़ती उम्र की आबादी की ओर जनसांख्यिकीय परिवर्तन उसके आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करता है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कौन-से नीतिगत उपाय लागू किए जा सकते हैं?
Discuss how India’s demographic transition towards an aging population impacts its economic development. What policy measures can be implemented to address these challenges?
उत्तर: भारत में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के तहत वृद्धजन आबादी में वृद्धि हो रही है, जिससे आर्थिक विकास पर प्रभाव पड़ता है। 2024 में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 15.3 करोड़ थी, जो 2050 तक 34.7 करोड़ होने की संभावना है।
वृद्धजन आबादी के आर्थिक विकास पर प्रभाव
(1) कार्यबल में कमी और उत्पादकता पर प्रभाव: भारत में वृद्धजन आबादी की वृद्धि से कार्यशील जनसंख्या का अनुपात घटता है, जिससे उत्पादकता में कमी आती है। यह स्थिति आर्थिक विकास की गति को धीमा कर सकती है, क्योंकि कम कार्यबल से उत्पादन और नवाचार में बाधा उत्पन्न होती है।
(2) स्वास्थ्य देखभाल खर्च में वृद्धि: वृद्धजन की स्वास्थ्य आवश्यकताओं में वृद्धि से स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ता है, जिससे सरकारी बजट पर दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया गया है, जिससे वित्तीय भार बढ़ा है।
(3) पेंशन और सामाजिक सुरक्षा पर वित्तीय दबाव: वृद्धजन के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की मांग बढ़ने से सरकारी वित्तीय संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना जैसी योजनाओं के तहत पेंशन राशि बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे वित्तीय बोझ और बढ़ता है।
(4) उपभोक्ता मांग में परिवर्तन: वृद्धजन आबादी की वृद्धि से उपभोक्ता मांग में परिवर्तन होता है, जिससे आर्थिक विकास की दिशा प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य देखभाल, दवाइयों और वृद्धजन सेवाओं की मांग बढ़ती है, जबकि युवा उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों की मांग घट सकती है।
(5) डिजिटल विभाजन और सामाजिक बहिष्करण: वृद्धजन की डिजिटल साक्षरता की कमी से वे सरकारी योजनाओं और सेवाओं से वंचित रह सकते हैं, जिससे सामाजिक बहिष्करण बढ़ता है। डिजिटल इंडिया पहल के बावजूद, वृद्धजन के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की कमी इस समस्या को और बढ़ाती है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीतिगत उपाय
(1) पेंशन प्रणाली में सुधार: राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को मजबूत कर, वृद्धजन के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। इसके लिए पेंशन राशि में वृद्धि, पात्रता मानदंडों में सुधार और पेंशन वितरण प्रणाली को सरल बनाना आवश्यक है।
(2) स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का विस्तार: वृद्धजन के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाओं और दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं का विकास आवश्यक है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया गया है, जिससे वृद्धजन को लाभ हो सकता है।
(3) डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम: वृद्धजन के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चलाकर उन्हें सरकारी सेवाओं से जोड़ना चाहिए। इसके लिए सामुदायिक केंद्रों में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं, जिससे वे डिजिटल उपकरणों का उपयोग सीख सकें।
(4) सक्रिय वृद्धावस्था को प्रोत्साहन: वृद्धजन को कार्यबल में बनाए रखने के लिए लचीले कार्य घंटे और पुनः प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं। इससे वे अपनी विशेषज्ञता का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और आर्थिक योगदान बना रहेगा।
(5) सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार: राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) जैसी योजनाओं का विस्तार कर, वृद्धजन को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। इसके लिए पेंशन राशि में वृद्धि, पात्रता मानदंडों में सुधार और वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाना आवश्यक है।
भारत की वृद्धजन आबादी में वृद्धि आर्थिक विकास के लिए चुनौतीपूर्ण है। नीतिगत उपायों, जैसे- पेंशन सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, डिजिटल साक्षरता, सक्रिय वृद्धावस्था को प्रोत्साहन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के विस्तार से इन चुनौतियों का समाधान संभव है।