प्रश्न: रोज़गार डेटा संग्रहण के संदर्भ में भारत में असंगठित क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिए।
Evaluate the challenges faced by the unorganized sector in India in the context of employment data collection.
उत्तर: असंगठित क्षेत्र में वे श्रमिक और व्यवसाय शामिल हैं जो औपचारिक श्रम कानूनों और नियमों से बाहर होते हैं। इनमें अधिकतर अस्थिर, अनियमित और बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के रोजगार संबंध होते हैं, जो रोजगार डेटा संग्रहण की प्रक्रिया को जटिल बनाते हैं।
असंगठित क्षेत्र में रोज़गार डेटा संग्रहण की चुनौतियाँ
(1) प्रवृत्तियों में अस्थिरता: असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या और प्रकार निरंतर बदलते रहते हैं, जिससे डेटा संग्रहण में असमंजस उत्पन्न होता है। यह अस्थिरता डेटा की सटीकता और समग्रता को प्रभावित करती है।
(2) डिजिटल साक्षरता का अभाव: असंगठित क्षेत्र के अधिकांश श्रमिकों में डिजिटल साक्षरता का अभाव है, जिससे रोजगार डेटा का सही तरीके से डिजिटल रूप में संग्रहण मुश्किल होता है और इस प्रक्रिया में त्रुटियाँ होती हैं।
(3) निगरानी और रिकॉर्ड की कमी: असंगठित क्षेत्र के कार्यस्थलों पर निगरानी और रिकॉर्ड रखने की प्रणाली अनुपस्थित होती है। बिना प्रभावी निगरानी के डेटा संग्रहण की प्रक्रिया में समय और संसाधनों की बर्बादी होती है, जिससे आंकड़े गलत होते हैं।
(4) सामाजिक सुरक्षा की अनुपस्थिति: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ नहीं मिलते, जिससे उनके रोजगार संबंधों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं बन पाता। इस वजह से सही और विश्वसनीय डेटा संग्रहण असंभव हो जाता है।
(5) अस्थिर कार्यस्थल: असंगठित क्षेत्र के श्रमिक नियमित रूप से स्थान बदलते हैं, जिससे उनका डेटा अद्यतन करना मुश्किल हो जाता है। प्रवासन की निरंतरता डेटा संग्रहण के दौरान गलतियाँ और असंगतियाँ उत्पन्न करती है।
असंगठित क्षेत्र से संबंधित आर्थिक और सामाजिक कारक
(1) कच्चे श्रम का प्रयोग: असंगठित क्षेत्र में कच्चे श्रम का अधिक उपयोग होता है, जिससे श्रमिकों का रिकॉर्ड रखना मुश्किल होता है। यह श्रमिकों की अस्थिरता और उनकी पहचान में समस्याएँ उत्पन्न करता है, जो डेटा संग्रहण में बाधक बनता है।
(2) कम वेतन और अवसरों की कमी: असंगठित क्षेत्र में कम वेतन और सीमित अवसर होते हैं, जिससे श्रमिकों के पास रोजगार रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते। यह कार्यबल के आंकड़े अद्यतन करने की प्रक्रिया को बाधित करता है।
(3) श्रमिकों की उच्च अनुपस्थिति दर: असंगठित श्रमिकों की अनुपस्थिति दर उच्च होती है और यह उनके रोजगार डेटा के संग्रहण में परेशानियाँ उत्पन्न करती है। कार्यस्थल पर उनकी अस्थिर उपस्थिति सही आंकड़े एकत्र करने में अड़चन डालती है।
(4) नियमों का पालन न करना: असंगठित क्षेत्र में नियमों का पालन नहीं होता और श्रमिक अपने कार्यस्थलों पर नियमित रूप से पंजीकरण या डेटा संग्रहण नहीं करते। इससे सरकार को सही डेटा एकत्रित करने में कठिनाई होती है और सामाजिक योजनाओं का लाभ प्रभावित होता है।
(5) अर्थव्यवस्था की अनौपचारिक प्रकृति: भारत की अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अनौपचारिक है और इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं होता। इससे रोजगार डेटा का सही तरीके से संग्रहण और विश्लेषण कठिन हो जाता है।
भारत में असंगठित क्षेत्र में रोजगार डेटा संग्रहण की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए प्रभावी निगरानी, डिजिटल साक्षरता और श्रमिकों की पहचान के लिए उपयुक्त उपायों की आवश्यकता है। यह नीति निर्माण की प्रक्रिया को प्रभावी बनाएगा।